अनजाना सा एहसास है
अनजानी सी राह है
जाने क्या चाहता है
यह बावरा मन
इसकी लीला यही जाने
ना कहुँ तुझे चाँद
का टुकड़ा
ना कहुँ तुझे मेरे
लिये बनाया है
बस इतना कहुँ कि तू
जीने का सहारा है
जाने क्या रिश्ता
है तुमसे जाने क्या नाता है
अनजानी सी राहों पर
चलना
अनकही बातें महसूस
करना
हर आहट में तुझे
महसूस करना
शायद तुम्हे याद
करने के तरीके बन गये है
तेरी आँखों की
नमकीन मस्तियाँ क्यों घायल करे मुझे
इन एहसासों को कैसे
बाँधू मैं
मैं खो जाऊँ
तुम्हारी इन नशीली आँखों में
मैं फिर कहा जोर इस
ज़माने को
जाने क्या रिश्ता
है क्या नाता है तुमसे
Wow, Just wow, I am stunned. I loved it. Very nicely written. Your choice of words and the flow were both nicely done as well as the strucutre. Amazing Job. Keep up the outstanding work.
ReplyDelete